Bgs Samachara: जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड स्थित भेलवा गांव में एक ऐसा ज़मीन विवाद सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है।
मात्र 9 धुर (लगभग 1500 वर्ग फीट) ज़मीन को लेकर शुरू हुआ मुकदमा 55 वर्षों तक चला। इस लंबे कानूनी संघर्ष में तीन पीढ़ियां और तीन वकील बदल गए।
अंत में फैसला प्रतिवादी के पक्ष में आया, लेकिन तब तक दोनों पक्षों की लगभग 9 बीघा ज़मीन बिक चुकी थी।
1971 में शुरू हुआ था मुकदमा, 2025 में आया फैसला
इस जमीन विवाद की शुरुआत साल 1971 में हुई थी। यदु यादव ने गांव के ही अपने संबंधी जगदीश यादव पर 9 धुर जमीन पर जबरन कब्जा करने और निर्माण कार्य शुरू करने का आरोप लगाया था।
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जगदीश यादव का ननिहाल भेलवा गांव में था, और उनके कोई मामा नहीं थे, इसलिए उनकी नानी की संपत्ति उन्हें मिली थी।
जब यदु यादव ने उस ज़मीन पर निर्माण शुरू किया, तो जगदीश यादव ने उसे रोक दिया। विवाद बढ़ा और मामला कोर्ट में चला गया।
तीन पीढ़ियों की मेहनत और जमीन चली गई
इस मामले को निपटाने में 55 साल लग गए। इस दौरान न सिर्फ याचिकाकर्ता और प्रतिवादी बदलते गए, बल्कि दोनों परिवारों ने मुकदमेबाज़ी में इतना खर्च किया कि उन्हें अपनी ज़मीनें बेचनी पड़ीं।
आज जिस 9 धुर ज़मीन का फैसला आया, उसकी कीमत लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये है।
लेकिन इस जमीन को पाने की लड़ाई में प्रतिवादी को लगभग 5 बीघा ज़मीन बेचनी पड़ी, जिसकी वर्तमान कीमत करीब 1 करोड़ रुपये आंकी गई है।
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न्याय मिला, लेकिन बहुत कुछ खो गया
2025 में जब कोर्ट का फैसला आया, तो प्रतिवादी को कानूनी रूप से वह 9 धुर ज़मीन मिल गई। मगर यह जीत भी अधूरी सी लगती है, क्योंकि इस छोटे से टुकड़े के लिए समय, पैसा और पीढ़ियों की मेहनत चली गई।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. यह ज़मीन विवाद कब शुरू हुआ था?
Ans: यह ज़मीन विवाद 1971 में शुरू हुआ था, जब यदु यादव ने जगदीश यादव पर 9 धुर जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया था।
Q2. यह मामला कितने साल तक चला?
Ans: यह मुकदमा लगभग 55 वर्षों तक चला और इसका फैसला 2025 में आया।
Q3. इस मुकदमे में दोनों पक्षों को क्या नुकसान हुआ?
Ans: इस केस की लंबी प्रक्रिया और खर्च की वजह से दोनों पक्षों को लगभग 9 बीघा जमीन बेचनी पड़ी, जिसकी आज की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।
Q4. क्या यह मामला कोर्ट की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है?
Ans: हाँ, यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली की धीमी प्रक्रिया और मुकदमेबाज़ी की महंगी लागत पर गंभीर सवाल उठाता है।
Q5. उस 9 धुर ज़मीन की आज की कीमत कितनी है?
Ans: आज के बाजार मूल्य के अनुसार, उस 9 धुर ज़मीन की कीमत लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये आंकी गई है।
निष्कर्ष-
यह मामला बिहार ही नहीं, पूरे देश के लिए एक सीख है कि न्याय पाने की प्रक्रिया को तेज और किफायती बनाना बेहद ज़रूरी है।
9 धुर ज़मीन के लिए 9 बीघा ज़मीन गँवाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं लगता — न आर्थिक रूप से, न ही मानवीय दृष्टिकोण से।