बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित कावर झील, राज्य की सबसे बड़ी मीठे पानी की आर्द्रभूमि है। यह झील पर्यावरण और जैव विविधता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और 2020 में इसे रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। अब सरकार ने इसके संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए एक बड़ी योजना बनाई है।
कावर झील कायाकल्प योजना के तहत 45 करोड़ रुपये खर्च कर झील का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें पानी की कमी को दूर करने से लेकर इको-पार्क और ग्लास ब्रिज जैसे पर्यटन आकर्षण विकसित करने तक कई बड़े कदम शामिल हैं।
झील का संरक्षण और संवर्धन
कावर झील का एक बड़ा हिस्सा फिलहाल सूख चुका है, जिससे यहां का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। योजना के अंतर्गत –
- सूखे हिस्सों में पानी की आपूर्ति की जाएगी।
- नालों और जल स्रोतों को झील से जोड़ा जाएगा।
- झील की जैव विविधता को बचाने के लिए नियमित निगरानी की जाएगी।
यह कदम झील को लंबे समय तक टिकाऊ और जीवंत बनाए रखने में मदद करेगा।
पर्यटन विकास: इको-पार्क और ग्लास ब्रिज
सरकार का उद्देश्य केवल संरक्षण ही नहीं बल्कि कावर झील को बिहार का नया पर्यटन केंद्र बनाना भी है। इसके लिए:
- झील के आसपास इको-पार्क बनाया जाएगा।
- झील के बीचों-बीच ग्लास ब्रिज का निर्माण किया जाएगा, जो पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
- नौका विहार (Boating), बर्ड वॉचिंग और नेचर वॉक जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इन योजनाओं के पूरे होने के बाद कावर झील बिहार के टूरिज्म मैप पर एक नया आकर्षण बनकर उभरेगी।
रामसर साइट का महत्व
कावर झील बिहार की पहली रामसर साइट है। रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण पर केंद्रित है। इसका मतलब है कि –
- झील का संरक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण है।
- यहां पाए जाने वाले दुर्लभ पक्षियों और जलजीवों की रक्षा की जाएगी।
- पर्यावरण संरक्षण और इको-टूरिज्म को प्राथमिकता मिलेगी।
समस्याएं और समाधान
- सूखा और पानी की कमी
झील का बड़ा हिस्सा सूख जाने से इसका प्राकृतिक स्वरूप प्रभावित हुआ है।👉 समाधान: आसपास की और नालों से झील में पानी पहुंचाया जाएगा।
2. किसानों और मछुआरों का विवाद
झील से जुड़े इलाके में किसान खेती करना चाहते हैं, जबकि मछुआरे मछली पालन की मांग कर रहे हैं।👉 समाधान: सरकार संतुलन बनाते हुए दोनों पक्षों के लिए अलग क्षेत्र और नीति तय करेगी।
3. अवैध शिकार और प्रदूषण
झील में पक्षियों का शिकार और प्लास्टिक प्रदूषण भी समस्या है।👉 समाधान: निगरानी बढ़ाई जाएगी और इको-फ्रेंडली नियम लागू किए जाएंगे।
स्थानीय लोगों के लिए फायदे
कावर झील कायाकल्प योजना न केवल पर्यावरण को बचाएगी बल्कि स्थानीय लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी।
- रोजगार के अवसर: पर्यटन और इको-पार्क से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- स्थानीय व्यवसाय: होटल, रेस्टोरेंट और दुकानों को बढ़ावा मिलेगा।
- कृषि और मत्स्य पालन: किसानों और मछुआरों दोनों के लिए संतुलित नीति बनेगी।
मुख्यमंत्री की दृष्टि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस योजना का प्रस्ताव देखा है और झील के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की मंशा जाहिर की है। उनका मानना है कि कावर झील न केवल बेगूसराय बल्कि पूरे बिहार की पहचान बन सकती है।
निष्कर्ष
कावर झील कायाकल्प योजना केवल एक विकास परियोजना नहीं है, बल्कि यह बिहार की प्राकृतिक धरोहर को बचाने और उसे आधुनिक पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
- 45 करोड़ की इस योजना से झील का कायाकल्प होगा।
- इको-पार्क और ग्लास ब्रिज से पर्यटक आकर्षित होंगे।
- रामसर साइट का महत्व बढ़ेगा और पर्यावरणीय संतुलन कायम रहेगा।
कावर झील का यह कायाकल्प न सिर्फ बेगूसराय की पहचान को नया आयाम देगा बल्कि बिहार को पर्यटन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।